राजधर्म‘ का महामंत्रः भारतीय राजनीति में ‘महाशक्ति‘ बनने की आधारशिला
(यह दस्तावेज भारत के भविष्य कोब दलने की क्षमता रखनेवाले प्रत्येक दल के लिए समर्पित है)
भारत का लोकतंत्र एक साधारण राजनीतिक प्रणाली नही ंहै, यह एक जीवंत सभ्यता है। आपका दल महज सत्ता का दावेदार नहीं, बल्कि राष्ट्र के नैतिक और भौतिक उत्थान का वाहक है। नई ऊँचाइयों तक पहुँचना केवल चुनाव जीतना नहीं है, यह इतिहास की चेतना में अपना स्थान सुरक्षित करना है।
- उद्देश्य की शुद्धताः ‘लोक-कल्याण‘ ही सर्वोच्च ‘धर्म‘ है
राजनीति का मूल उद्देश्य केवल शक्ति नहीं, बल्कि योग्यता (Worthiness) स्थापित करना है।
कर्म का अटल सिद्धांतः ‘महाभारत‘ हमें सिखाता है कि नियत ही परिणाम तय करती है।आपकी नीतियाँ केवल डेटा-आधारित नहीं, बल्कि नैतिक-आधारित होनी चाहिए। हर फैसला ‘मेरा दल‘ या ‘मेरी सत्ता‘ नहीं, बल्कि ‘मेरा राष्ट्र‘ और ‘लोक-कल्याण‘ के पैमाने पर तौला जाना चाहिए।
समग्रता का संकल्पः केवल आर्थिक वृद्धि (GDP) को लक्ष्य न बनाएं। पर्यावरण, सामाजिक न्याय, और सांस्कृतिक जड़ों के संरक्षण को आर्थिक नीति का अभिन्न अंग बनाएं। जो दल ‘समग्र उन्नति‘ का सिद्धांत अपनाता है, वह जनता के मन में स्थायी स्थान बनाता है। - संगठन की संरचनाः ‘अखंड‘ शक्ति का निर्माण
एक महान दल केवल नेताओं का समूह नहीं होता, वह अखंड, एकीकृत और प्राणवान संस्था होता है।
आंतरिक ‘Mitra Garbh Naal‘ (अखंड बंधन): संगठन को व्यक्ति केंद्रित नहीं, बल्कि विचार-केंद्रित रखें। सभी गुटों और पीढ़ियों के बीच मैत्री, सम्मान और विश्वास का वह अटूट बंधन स्थापित करें, जो दल को हर संकट में एक रखता है। कार्यकर्ता की ऊर्जा तभी पूर्ण होती है, जब वह खुद को ‘संपूर्णता‘ का हिस्सा माने।
प्रशिक्षण और ‘संस्कार‘: अपने कार्यकर्ताओं को केवल प्रचारक नहीं, बल्कि सभ्यता के मूल्यों के वाहक के रूप में प्रशिक्षित करें। उन्हें भारत के संविधान, इतिहास और आपकी विचारधारा की गहरी समझ दें। वैचारिक रूप से मजबूत संगठन ही विचार-धारा को जन-धारा बना सकता है। - नेतृत्व का शिखरः ‘संयम‘ और ‘सेवा‘ का प्रतिमान
नेतृत्व का अर्थ ‘दिखाना‘ नहीं, बल्कि ‘जीना‘ है। जनता को वास्तविक जीवन के उदाहरण चाहिए।
पारदर्शिता का ‘अग्नि-पथ‘: आपके हर निर्णय, चंदे और आय-व्यय में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए।सत्ता का संचालन ऐसी पवित्रता से करें कि जनता को आप पर अंधा विश्वास हो। जवाबदेही (Accountability) को सत्ता का पर्याय बनाएं।
स्वच्छता का कठोर संकल्पः अपनी राजनीतिक यात्रा को अपराधिक तत्वों से मुक्त करने का ऐतिहासिक और साहसी कदम उठाएँ। जनता ऐसे नेतृत्व के साथ खड़ी होगी जो नैतिकता के सबसे ऊंचे मानदंड स्थापित करने का साहस रखता हो। - संवाद की कलाः ‘जन-सरोकार‘ का गहरा अध्ययन
राजनीति विज्ञान नहीं, बल्कि जन-मनोविज्ञान है।
‘मौन चीखों‘ को सुननाः जनता की असुविधा, युवाओं की निराशा और किसानों की चिंता को केवल डेटा से नहीं, बल्कि करुणा से समझें। वह दल सबसे सफल होता है जो समस्या के मुखर होने से पहले ही समाधान प्रस्तुत कर देता है।
युवाः भविष्य के ‘सहभागी‘: युवा शक्ति को केवल वोटर नहीं, बल्कि राष्ट्र-निर्माण की प्रयोगशाला मानें। उन्हें नीतियों के निर्माण, प्रबंधन और कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदार बनाएं।उनकी ऊर्जा और नवीनता ही आपकी दीर्घकालिक विजय का एकमात्र स्रोत है।
अंतिम आह्वानः
महानता की यात्रा अब शुरू होती है। आप साधारण राजनीति की सीमाओं को तोड़कर, राजधर्म के उच्च सिद्धांतों को अपनाएं। जब आपका दल धर्म (दायित्व), कर्म (शुद्ध सेवा भाव) और पारदर्शिता (नैतिक बल) के मार्ग पर चलता है, तो सत्ता स्वयं उसका अनुसरण करती है।
उठिए! भारत की नई ऊँचाइयाँ आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं। यह ‘युग-निर्माता‘ बनने का समय है
— डॉ. सोमेन्द्र शास्त्री
