गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हाथ में हाथ दो तो सही
साथ मैं हूँ चलो तो सही

ख़त को फिर फाड़ देना भले
पहले उसको पढ़ो तो सही

आप बैठे हैं ख़ामोश क्यों
सुन रहे हैं, कहो तो सही

दो बदन, एक जां, एक रूह
कृष्ण-राधा बनो तो सही

तल्ख़ियाँ ख़त्म हो जाएंगी
कुछ कहो, कुछ सुनो तो सही

हर तसव्वुर की ताबीर हूँ
ख़्वाब तुम इक बुनो तो सही

चाँदनी, चाँद, ‘पूनम’ की शब
और मैं हूँ, रुको तो सही

— डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia poonam.matia@gmail.com