कुण्डली/छंद

टोंटी चोरवा को लगती है मिर्ची

मंदिरों को तोड़ा,नहीं छोड़ा कभी हिंदुओं को
उनका खल बार-बार बनता बावर्ची

सनातन की आस्था से खिलवाड़ करता है
यूं बक रहा है जैसे बकते हैं ठरकी

सैफई नचनियों पे अरबों लुटाने वाला
दीप उत्सव को बता रहा फिजूलखर्ची ।

सनातनी जब-जब करते हैं धर्म-कर्म
तब टोंटी चोरवा को लगती है मिर्ची

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154