कुण्डली/छंद

दीपोत्सव 

दीपोत्सव की मंगल घडियाँ।

दमके तारे आँगन गलियाँ।

दीप पुष्प-मालायें शोभित।

रंगोली से अंतस मोहित।।

लाल गुलाबी फूल पिरोएँ।

घर-घर वंदनवार सजाएँ।

मन आँगन इतराये खुशियाँ।

पक्षी चहके, महके कलियाँ।।

पर्व दिवाली वैभव लाएँ।

हर्ष पुलक रुमझुम बरसाएँ।

प्रेम-दीप घर-घर प्रकटाएँ।

आनंदोत्सव सुखद मनाएँ।।

दीपोत्सव उजियारा लाएँ।

अग-जग आलोकित हो जाएँ।

प्रेम-पर्व उत्सव है प्यारा।

संस्कृति सौरभ सोहन न्यारा।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८