कविता

देव दीपावली

भक्तों की रक्षा हेतु प्रभु लेते हैं नया अवतार,
देव हो या दानव शरणागत का करते उद्धार,
एक समय तीनों लोकों में मचा था हाहाकार,
दैत्य त्रिपुरासुर कर रहा था बहुत अत्याचार ।

उस अधर्मी ने ब्रह्मा जी से अनोखा वर पाया,
तीन तारों पर तीन नगर विश्वकर्मा से बनवाया,
अहंकार के वशीभूत होकर आतंक फैलाया,
तीनों लोगों के प्राणियों को अतिशय सताया ।

देवों पर भी आया संकट प्राणों का अति भारी,
हल निकले न कोई त्राहि त्राहि मची थी भारी,
ब्रह्मा जी को अपनी बात जाकर बताई सारी,
अंत मे भोलेनाथ ने दैत्य वध की करी तैयारी ।

अभिजीत मुहूर्त में रथ बाण को सिद्ध किया,
एक सीधी रेखा में नगरी आने पर भेद दिया,
त्रिपुरासुर दैत्य को मार त्रिपुरारि नाम पाया,
भोलेनाथ ने तीनों लोकों को पापी से बचाया ।

सभी देवों ने भोलेनाथ की स्तुति कर आरती गाई,
तीनों लोकों में रोशनी कर देव दीपावली मनाई,
“आनंद” खुशियों की लहर तीनों लोकों में छाई,
तब से कार्तिक मास पूर्णिमा देव दीपावली कहाई ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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