कविता : नज़रिया
नज़रिया बदल रहा है, देखने का मेरा भी संग ज़माने के अब तो, मैं भी बदल रही हूँ !! समझ
Read Moreनज़रिया बदल रहा है, देखने का मेरा भी संग ज़माने के अब तो, मैं भी बदल रही हूँ !! समझ
Read Moreदेख टूटा तारा नभ से माँगा था कोई अपना ही पर उस टूटे तारे की तरह टूटा था मेरा सपना
Read Moreअक्स बन के मेरा संग रहते हो, इस दिल में ! ख्यालों की मेरे रेखा तुम पार कर जाते हो
Read Moreरुक्मिणी के मन की व्यथा ================ करते हो अपने मन की सदा कभी मेरे मन की भी कर लो ना
Read More=========माँ ======== कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते – चढ़ते आज बहुत “बड़े” हैं हो गये !! बैठे माँ की निश्छल छाया
Read Moreसीता को जैसे वरा राम ने मेरे राम मुझे तुम वर लो ना ! लगा सिंदूर नाम का अपने खुशियों
Read Moreहमारी कदर भी, करेगा ये ज़माना ! वफादारी की आदत … ज़रा छूट जाने दो !! सिक्का उछाल, वो फैसला
Read Moreकर (हाथ) दमड़ी, कसौटी पर रिश्ते, अपना कौन? प्रश्नों से परे, विष फैलाए पैसा, ईमान बना ! अंजु गुप्ता
Read Moreमाथे बिंदिया, बँधी पग पायल, मुरीद पिया ! बजे घुँघरू, फिर सारी रतिया, ढला यौवन ! — अंजु गुप्ता
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