काव्यमय कथा-9 : कर भला तो हो भला
एक गुलाम भागकर पहुंचा, एक घने जंगल में, कोई शेर कराह रहा था, जाने क्या था पग में! पैर उठा
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Read Moreरोटी एक मिली कौए को, मन में बहुत-बहुत हर्षाया, उसे देखकर एक लोमड़ी, का भी मन था ललचाया. ”कौए भाई,
Read Moreकौआ एक बड़ा प्यासा था, उड़कर पहुंचा एक बाग में, जहां पड़ा था एक घड़ा पर, पानी था थोड़ा-सा उसमें.
Read Moreशहर चला जब मंगलू भाई, बोले लोग, ”तू है ही लल्लू, काम गधे से क्यों नहीं लेता? थक जाएगा बेटा
Read Moreनीलू-शीलू लगीं झगड़ने, रोटी कौन बड़ी खाएगा? ”बंदर मामा, तुम्हीं बता दो, रोटी कौन बड़ी पाएगा?” छोटी एक तराजू लेकर,
Read Moreएक किसान दुःखी था मन में, चारों बेटे लड़ते रहते, इस प्रकार लड़ते रहने से, सारे काम बिगड़ते रहते. एक
Read Moreचार बैल थे पक्के साथी, नहीं कभी भी लड़ते थे, उन्हें देखकर जंगल के सब, बड़े जीव भी डरते थे.
Read Moreभौं-भौं भौंका शेरू कुत्ता, रामचंद्र नहीं जाग सका, गठरी बांध चोर ले भागा, शेरू फिर भी नहीं रुका. गठरी एक
Read More‘इ’ से इसे न छेड़ो बच्चो, इ से इधर न तुम आना, इ से इसकी चीज़ न लेना, इ से
Read Moreहम सुनते हैं एक कहावत, एक अनार और सौ बीमार, समझ न आए कैसे खाएं, एक अनार को सौ बीमार.
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