देवोत्थान एकादशी पर विशेष कविता : सवाल
हे देव तुम क्यों हुए निद्रालीन ? क्योंकि, तुम्हारे निद्रामग्न होते ही यहां बढ़ गया ख़ूनख़राबा तेजी में आ गया
Read Moreहे देव तुम क्यों हुए निद्रालीन ? क्योंकि, तुम्हारे निद्रामग्न होते ही यहां बढ़ गया ख़ूनख़राबा तेजी में आ गया
Read Moreहाथ में लेकर लोटा , शौच खुले में जाना , रोकना आज भी , है चुनौती, क्योकि , जारी है
Read Moreचलो एक दीप जलायें मन के किसी कोने मे तिमिर को भगाकर उजाला लाये उस कोने मे राग द्वेष से
Read Moreचलो न फिर एक बार मिलते है वहॉ सुनसान जगह हो जहॉ जब पहली बार मिले थे तब तो सिर्फ
Read Moreहॉ मै जीना चाहती हूँ लेकिन तुम्हारे अधीन रहकर नही स्वतंत्रत होकर सभी बंधन से मुक्त होकर आखिर मेरे लिये
Read Moreभैया दौज का त्यौहार आया बहन – भाई का प्यार लाया परदेश से भेज रही बहना मन्नत का कलावा खुशहाली
Read Moreएक जमीन थी हरियाली पशु पक्षियों का बसेरा जीव-जंतुओं का डेरा वहाँ शांति थी सुकून था लोग वहाँ आते थे
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