“मंगलमंगना छंद”
विधान~ [ नगण भगण जगण जगण जगण गुरु] (111 211 121 121 121 2) 16वर्ण,4 चरण, {4,12वर्णों पर यति} दो-दो
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Read Moreबाल्मीकि के आश्रम आई, अनुज लखन सिय साथ निभाई माँ सीता पर आँख उठाई, कोशल की चरचा प्रभुताई ।।-1 ऋषी
Read Moreमेरे प्रियतम ! तुम्हारे प्यार से खुद को सजाना मुझे अच्छा लगता है, सुहाग की निशानियों से अपना प्यार जतलाना
Read Moreजिए जा रहे हैं उसके लिए कैसे मानलें वो अब नहीं ये फ़िज़ाएं, लहराती हवाएं करवट बदल खिलती कलियाँ बार-बार
Read Moreबाहर हैं तो अभी सीधा घर जाइये घर जाकर टी.वी. में आग लगाइये सभी जाति -धर्म के लोग दिखाई देगें
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