बीते लम्हे
यादों में डूबा कभी सोचता हूँ कि वो पल क्या थे सच के ईनाम थे या झूठ के पैगाम थे
Read Moreयादों में डूबा कभी सोचता हूँ कि वो पल क्या थे सच के ईनाम थे या झूठ के पैगाम थे
Read Moreफागुन की झोली से उड़ने लगे रंग मौसम के भाल पर इन्द्रधनुष चमके गलियों और चौबारों के मुख भी दमके चूड़ी
Read Moreमैने भी पढ़ना हैसमय नहीं मांगती बस मंजूरी चाहीऐ काम पर भी आऊंगी झाड़ू पोछा भी करूंगी बस मंजूरी
Read Moreमुझ से अच्छा तो वो खिलौना होगा रुलाया जब भी किसी ने गले तूने फिर उसे ही लगाया होगा !
Read Moreशबनमी बूँदें – रातें गुमसुम सी थीं बातें कुछ भी ना हुई थीं सिलसिला यही चलता रहा गर्मीयों में कहाँ कुछ
Read Moreमाँ की कोख में अनगिनत सपने संजोय हुए दुनियाँ के घृणित सोच से बेखबर जब पता चलता है ,, जन्म
Read Moreगुलमोहर के खिले हुए फूल मुरझाने से पहले तुम्हें देखना चाहते है गिरती हुई पंखुरियाँ तुम्हारे बालों में उलझन
Read Moreबेटी हूँ मैं धरती का सौंदर्य और हरित प्रकृति हूँ मैं दहेज के दानवों से लेकिन , आज विचलित
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