विजय और मनोरमा दोनीं पति-पत्नी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं और लंबे समय से शिमला में ही रहते थे। आजकल अपनी बेटी के पास आए हुए थे और इन दिनों बेटी के परिवार में दामाद और बेटा ही यहां थे। कुछ ही समय पहले मनोरमा के पेसमेकर लगा था और अब सहज महसूस कर रही […]
कथा साहित्य
झूठी इज्ज़त
पार्टी पूरे जोरों शोरों पर थी। शीना की सभी सहेलियां और अड़ोस पड़ोस की औरतें उसकी तारीफ़ करते नहीं थक रही थी। “आख़िर आज के मॉडर्न जमाने में घर के बड़े बुजुर्गों को कौन इतना मान सम्मान देता है भला, और तुमने तो अपने ससुर जी के 70वें जन्मदिन की इतनी बड़ी पार्टी आयोजित की”, […]
होली के रंग
अमर चौबीस वर्षीय मस्त मौला गबरू जवान है। लंबी कदकाठी व कसरती काया के साथ शहरी रहन सहन का सलीका व शालीन व्यवहार उसकी छवि को और प्रभावशाली बनाते हैं। जो भी उससे कुछ समय बात कर लेता उसकी वाक्पटुता व उसकी समझदारी से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता। उसके पिताजी कई साल पहले […]
हथियार
प्रौढ़ साक्षरता अभियान के तहत कस्बे में शुरू की गई रात्रि पाठशाला में आई कुछ प्रौढ़ महिलाएं शिक्षा ग्रहण कर रही थीं। कक्षा अध्यापिका श्रीमती गीता जी ने मानव सभ्यता के क्रमिक विकास के बारे में महिलाओं को समझाते हुए कहा, “जैसा कि हम जानते हैं, आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। मानव सभ्यता के […]
लघुकथा – रंग रूप
रेनू का रंग रूप देखने में अच्छा नहीं था लेकिन वो पढ़ने में होशियार होने के साथ साथ एक्टिंग अच्छी करती थी| स्कूल में जब भी प्रोग्राम होते है वह उसमें हिस्सा लेती थी| एक बार उनके स्कूल में फिल्मों के डायरेक्टर को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया और बोले ” तुम फिल्मों में […]
पेंडिंग
इसे सुविधा शुल्क कहें, कमीशनखोरी, उत्कोच या पहिया, है तो यह रिश्वत ही! यों तो रिश्वत लेना और देना दोनों ही कानूनी अपराध हैं, पर यह मानता ही कौन है! पहिये के बिना गाड़ी नहीं चलती, रिश्वत के बिना फाइल! कोई भी काम बनाना हो, चलाओ रिश्वत! तनु का प्रोमोशन का केस पेंडिंग था. अभी […]
मंदिर की उदासी
बुजुर्ग महिला सरिता जी के लिए कोरोना नामुराद रोग सिद्ध हुआ. लाखों-करोड़ों लोग ठीक हो गए, पर सरिता जी का दुर्भाग्य ही कहिए, उनके पतिदेव कोरोना को हरा न सके. हंसती-हंसाती सरिता जी के जीवन में शून्यता आ गई. यही शून्यता उनके लिए मौन और उदासी का कारण बन गई. सरिता जी ही नहीं, उनकी […]
विडंबना
”आज घर में मौन क्यों है?” घर का मौन सुरेंद्र को खाए जा रहा था. इसी मौन के लिए वह पिछले बीस सालों से तरस रहा था! मौन मिलता भी कैसे! बीस साल पहले शुभा से उसकी शादी हुई थी. तब से सुबह उठता तो रसोईघर की खटर-पटर, कभी कपड़े धोने की आवाजें, कभी डाइनिंग […]
उम्मीद के सितारे
आज अंगेश का 25वां जन्मदिन था. इसी अवसर पर धूमधाम से उसकी शादी की तैयारियां हो गई थीं. वैसे तो अब गांव बहुत उन्नत हो गया था, पर प्राचीन सांस्कृतिक-सामाजिक परंपराओं को उसने आज भी बरकरार रखा था. पूरी तरह से शाकाहारी भोजन व मिठाइयों का प्रबंध हो गया था. होली के मनभावन दिन चल […]
खुशी वाली “की”
कितना खूबसूरत जीवन था उसका. खुशियों से वह चहकती-महकती रहती थी और अपने घर-परिवार, संगी-साथियों को भी चहकाती-महकाती रहती थी. बहुत प्यार करने वाला पति, मान-सम्मान देने वाले बहू-बेटे, हर सुविधा से संपन्न उसका घर-परिवार, किसी चीज की कमी नहीं, खुशी के लिए इससे ज्यादा चाहिए भी क्या! अब भी सब कुछ वैसा ही था, […]