अनजानी राह
सतविंदर कभी अपनी माँ से एक दिन के लिए भी दूर नही गया। स्कूल भी जाता तो वापस आकर माँ से
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Read Moreभोजन की सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी, सभी शिकारी थक चुके थे। वापस जंगल से शहर का लंबा
Read Moreमुझे आज भी ख्याल है कि २००९-१० में सासाराम रेलवे स्टेशन से एक किलो मिटर दूर उत्तर की ओर जा
Read More1969 तक जितनी बसें थीं ,सब वुल्वरहैम्पटन कॉर्पोरेशन ही चलाती थी। इसी तरह बहुत से शहरों में लोकल काऊंसलज़ ही
Read Moreबाहर इतनी सर्दी थी कि हाथ पैर सुन्न हो रहे थे मगर शोभा तो डर से पसीना पसीना हो रही
Read Moreदोनों बेटीआं धीरे धीरे बड़ी होने लगीं। कुलवंत भी अब धैनोवाली को भूलने लगी क्योंकि सारा धियान तो बच्चों में
Read Moreमारिया की आँखें डबडबा आयीं पर दिल पर पत्थर रख कर उन अनमोल मोतियों को बिखरने से जैसे तैसे रोक
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