आत्मघात (लघुकथा)
“एऽऽऽऽ कोन है रे तुमलोग? बचाओऽऽ बचाओऽऽ अरे पकड़ो……..” हथियारबंद नकाबधारियों से अपनी पोती को छीनते रामनाथ बाबू की आर्त
Read More“एऽऽऽऽ कोन है रे तुमलोग? बचाओऽऽ बचाओऽऽ अरे पकड़ो……..” हथियारबंद नकाबधारियों से अपनी पोती को छीनते रामनाथ बाबू की आर्त
Read Moreचुनाव हमारे जीवन का अंग बन गया है जो आए दिन कहीं न कही, कभी प्रादेशिक तो कभी राष्ट्रिय त्यौहार
Read Moreसत्या मायके की देहरी पर बैठी अतीत के झरोखे से सब कुछ स्पष्ट देख रही थी, बेटे कैलाश की बातें
Read MoreLive with happiness not for happiness जो है जितना है उतना में ख़ुश होना सीख लेना समझदारी है रिसेल आज चिंतित हो
Read Moreखबर ही ऐसी थी । देखते ही देखते यह खबर जंगल के आग की तरह पुरे मोहल्ले में फ़ैल गयी
Read Moreनागरजी फोन का रिसीवर रखकर खिन्न मन से सोफे पर आकर बैठे ही थे कि सरला नजदीक आकर खड़ी हो
Read Moreसुरेखा को इस वैलेंटाइन डे पर पिछले साल का वैलेंटाइन डे याद आ रहा था, जिसने सहसा उसकी ज़िंदगी को
Read Moreमानव को अच्छा पहनने और घर में आधुनिक चीज़े लाने का बहुत शोक था, अपनी आय से बड़कर खर्चा करना
Read Moreप्रयाग माधव माँ गंगा व त्रिवेणी संगम की पावन डुबकी से सराबोर होकर, वापसी की यात्रा शुरू हुई। प्रयाग मुड़ाये,
Read More