गज़ल
गज़ल आस का दीपक जलाया देर तक ख़्वाब दिल को यूँ दिखाया देर तक। बन के आँसू आँख से ग़म
Read Moreहमें गुंमराह करके क्या पता वो कब निकल जाये बड़ा वो आदमी है क्या ठिकाना कब बदल जाये। ज़रूरी हो
Read Moreमुझको मिले हैं ज़ख्म जो बेहिस जहान से फ़ुरसत में आज गिन रहा हूँ इत्मिनान से आँगन तेरी आँखों का,
Read Moreमिला जब आज मैं उस से, बहुत बेजार रोई वो। मेरे कांधे पे सर रखकर, सरे बाजार रोई वो॥ बिखरते
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