ग़ज़ल
दृग खुले रखना किसी से, प्रीत पल जाने के बाद। जग नहीं देता सहारा, पग फिसल जाने के बाद। चार
Read Moreख़्वाब की तरह से आँखों में छिपाये रखना हमको दुनिया की निगाहों से बचाये रखना बिखर न जाऊँ कहीं टूट
Read Moreप्यास अधरों की बुझा कर जाइये एक शमां दिल में जला कर जाइये || लूटते हो क्यों निगाहों से मुझे
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