“ग़ज़ल”
नफरतों की आग में जलता मिला | ये शहर पहले से अब बदला मिला | हम चले थे साथ में
Read Moreगुनगुनाते हुए आंचल की हवा दे मुझको उंगलियां फेर के बालों में, सुला दे मुझको हर एक पल तू मेरे
Read Moreवक़्त की रफ़्तार का कुछ भी भरोसा है नहीं कल तलक था जो सुहाना कल वही विकराल हो इस तरह
Read More