अरुणा तुम व्यथित कहानी हो । आँखों से बहता पानी हो ।। मानव सेवा का ब्रत लेकर । उत्साहों को नव मुखरित कर। पावन संकल्पो पर चलकर । फिर कदम बढे जीवन पथ पर । उन विश्वासो के आँचल पर । नारी मर्यादा में रह कर ।। इस नृशंस क्रूर मानवता की , तुम […]
गीत/नवगीत
पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूं मैं ….
पहले हर अधरों को मुस्कानें दे दूँ मैं, फिर सूनी मांग तेरी तारों से भर दूँगा. वासंती आँचल का आकर्षण गहरा है, लेकिन इन नयनों के अश्कों को चुन लूं मैं. हर सूने हाथों में मेहंदी रच जाने दो, फिर तेरे आँचल को फूलों से भर दूंगा. आँखों का आकर्षण ठुकराना ही होगा, […]
यथार्थ व्यंग गीतिका : अंगूर खात लंगूर
अंगूर खात लंगूर , जमाना किसने देखा चमचो से सजी फौज का दुर्दांतहश्र सबने देखा , मिठाईयों पर भिनभिनाती मक्खी की तरह जहाँ मे आई इन बीमारियों के तांडव मैने देखा आज लाबीईग का जमाना हुआ उल्लू का शृंगार सुख सुविधा नित गटक रहे झूठे उनके कागज लेखा बाते लंबी-चौड़ी करते असत्य हुआ उनका आगार […]
गीतिका : प्रेमी पथिक
गुल-गुल से गुलशन सजाना चाहिए, हर गली गुलजार हो ऐसा तराना चाहिए/ देखकर मनमोह ले प्रेमी पथिक का यह सफ़र, हर डगर खुशहाल हो ऐसा जमाना चाहिए/ नील गगन खुशियाँ बिखेरे रात-दिन, हर गली खुशहाल हो ऐसा निभाना चाहिए/ जिंदगी की ख्वाविशें पूर्ण हों एहसास मे, भावना आधीन हो ऐसा दिवाना चाहिए/ शक्ति ,शौर्य, वीरता […]
गीतिका : विरहन
प्रियतम मेरे दूर बसे कैसे भेजूँ संदेश ? डाल-डाल पर पंछी बसते कैसे करूँ आदेश ? १ खोज थकी मानस मंदिर में अनजाने में बीती रात, अंधकार मय भइ विभावरि कैसे कहूँ अंदेश ? २ झर-झर बरसे बादल लागे बड़ा भयावन बूँद -बूँद आतिश सम लागत कैसे सहूँ कलेश ? ३ सावन की घनघोर […]
गीतिका
मरघट के सन्नाटे में आवाज लगाने निकला हूँ मुरदों को नव-जीवन का राज बताने निकला हूँ संवेदनाहीन हुआ है जो मनुज हृदय पाषाण सम उस उर में पर पीड़ा की आग जलाने निकला हूँ नारी रुदन-क्रंदन भी विचलित जिन्हें करता नहीं उन कौरवों से द्रोपदी की लाज बचाने निकला हूँ भेड़ों के लिबास में घूमते […]
पुलिस चरित्र
सबने बखिया खूब उधेडी , कहा की काला पुलिस चरित्र लेकिन क्या कभी किसी ने पूछा , उनका दुखड़ा बनके मित्र हम अपने घर वालो के संग , खूब मनाते होली – ईद पर उनको त्योहारों पर भी , घर का होता नहीं है दीद क्यों ना सोचा उनको भी तो , आती होगी कभी […]
देशभक्त का प्रश्न
भारत माँ से पूछूँगा क्यों अक्सर ऐसा होता है राष्ट्र ध्वजा के तीन रंगो में भगवा ही क्युँ रोता है जो भगवा को फूंके क्यों उनको उन्नत आकाश मिले भगवा को जो पूजे क्यों उसको हरदम बनवास मिले भगवा को नोचे फाड़े सबको पूरी आजादी क्यों भगवा गर चूँ भी करदे तो कहलाता अपराधी क्यों […]
कब मिलेगी मंज़िल
मंज़िल की तलाश में अब थम गया है दिल ऐ वक्त बता दे कब मिलेगी मेरी मंज़िल ख्वाबों के मंजिलों में मैंने हौंसले का पर लगाया न राह दिखाया किसी ने न उड़ना सिखाया मेहनत की चिंगारी से पथ में रौशनी जलाया नसीब की झोंके ने तो उसे भी बुझाया पिछे कदम नहीं किया हो […]
माँ!
नींद ना आई मुझे रात भर, याद बहुत तू आई माँ! याद तुझे कर आँखें मेरी, सारी रात नहायी माँ! वह आँचल की मीठी खुशबू, थपकी तेरी याद आई तेरी लोरी के संग मुझको, बीतीं झपकी याद आई फिर से तेरी गोद को पाने, बाँहें हैं अकुलाई माँ! तेरे सीने से लगते ही, सारे दुख […]