आग लगाता ये सावन
गीली धरती ,तपता मन। आग लगाता ,ये सावन।। सुगंध खोकर, खिले गुलाब। खुद से जलता,एक आफताब।। चाँद के संग बाटता,
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Read Moreफिसलता है पल -पल मुट्ठी में रेत सा । गिर्दाब है! वक्त कभी ठहरता नही।। छुपता है हर रोज शाम
Read Moreसन 2014 के आम चुनावो के होने तक आम जनमानस की मनोदशा ऐसी ही थी…हर ओर सिर्फ अंधेरा ही दिखता
Read More5-8-18 मित्र दिवस के अनुपम अवसर पर आप सभी मित्रों को इस मुक्तक के माध्यम से स्नेहल मिलन व दिली
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