कविता – तुम अकेले हो
तुम अकेले हो जहां मे, मानकर चलना । अपनों की दावेदारी का, वो दौर कोई और था.।। भागती दुनिया नही
Read Moreतुम अकेले हो जहां मे, मानकर चलना । अपनों की दावेदारी का, वो दौर कोई और था.।। भागती दुनिया नही
Read Moreकुछ ढूढ़ रहा है मेरा मन ! क्यों परेशान लगता है जन !! स्वार्थ की गाड़ी पर सब चढ़ ,
Read Moreमेरी मुस्कान तुमसे से ही है, मेरी हर खुशी तुमसे ही है तुम्हें देख लेते है तब बडा सुकून महसूस
Read Moreबचपन की यादों को लेकर,रक्षाबंधन आया है ! कर पर धागा,मस्तक रोली,चंदन-वंदन लाया है !! प्रीति थिरकती,नेह बिखरता, दिल में
Read Moreघने वाग – वगीचों के बीच एक नव निर्मल लड़की देखी बीच , उसके दाँत तारों से चमक रहे थे
Read Moreबहुत उदास है————— आज हमारे तुम्हारे मोहब्बत की, कैंडिल नाईट। मै वही बैठी हूँ ठिक सामने, बस वे जगह खाली
Read Moreबे मौसम बरसात हो रही, दिन मे जैसे रात हो रही। जब होनी हो जमकर बारीस, तब सूखे की, बात
Read Moreहृदय अब तो आखे खोल !! जिस राधा का प्यार तु देखा , दुर्गा का अबतार भी देखा, लछमी बाई
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