बलात्कार
बलात्कार नहीं दिखा तुम्हे मेरा दर्द, मेरी पीड़ा और मेरा डर मेरे घुटते शब्दों के साथ मेरा मरता वजूद करते
Read Moreमैं ही नारी हूँ…. सदियों से मुझ पर बहुत कुछ लिखा गया, पढ़ा गया…. कहने वालो को भी देखा है
Read Moreयौवन की दहलीज़ पर कदम रखते हुए दर्पण में खुद को निहारती आँखे। आँखों में कई स्वप्न अंगड़ाई ले रहे।
Read Moreख्वाबों के फंदे बुनती रही तेरे यादों को आकार देने लगी इसी उधेड़ बुन में जिंदगी लगा दी सवालों की
Read Moreभव-भँवर-पार दिल कश्ती ने पीड़ा का सागर छिपा रखा मुस्कानों की लहरें जग में रंग दिखाती भव भँवर में मंजु
Read Moreरंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं…… फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं…… यूँ ही कुछ लिखते-लिखते इतिहास
Read Moreहर आहट बहना चौंक जाए भैया न आए राखी में पिरो ढ़ेर शुभकामना भेजी विदेश बहना दूर बाट
Read More