कविता
तेरी ममता,तेरे उपकार का समुचित वर्णन , क्या कभी भी कोई कर पाया है? ऋषि-मुनि,संत-कवि और स्वयं ईश ने भी,
Read Moreजवानी की सत्ता में रिश्तों का बड़ा महंगा किराया हो गया। बचपन गोद में खेला है जिसके आज वो शख्स
Read Moreमेरा गलीचा मन के सफ़ेद गलीचे में तुम तुरुप गए दो लाइन काले रंग से । तुरपाई चाहे सिल
Read Moreयह प्यार भावना का बंधन है, कोई समझौता या इकरार नहीं है, तुम खुल कर मुझसे प्यार करो,. या कह दो मन में प्यार नहीं है मैं प्यार करूँ, तुम बेवफ़ा रहो ,यह मुझको तो मंज़ूर नहीं है, या तुम खुल कर इंकार करो, यह खेल मुझे मंज़ूर नहीं है, मुझसे प्यार और मिलन किसी से, ये तो कोई रीत नहीं है, महफ़िल में गैरों की बाँहों में झूलो, यह तो सच्ची प्रीत नहीं है, मेरी हो तुम मेरे जीवन में, क्यों न खुल कर स्वीकार करो सिर्फ़ मुहब्बत दिखालाने को मत झूठे वादे बारंबार करो, न मैं खुद को बदल सका हूँ, न तुम खुद को बदल सकोगे, कर लो किस्सा ख़त्म यहीं, बस इतना मुझ पर उपकार करो. यह प्यार भावना का बंधन है, कोई समझौता या इकरार नहीं है, तुम खुल कर मुझसे प्यार करो,. या कह दो मन में प्यार नहीं है —जय प्रकाश भाटिया
Read Moreआगे देखो ,देखते रहो ,अच्छे दिन आने वाले हैं भाषण सुनकर ,गदगद जनता ,दिन बदलने वाले हैं गिन गिनकर काटते
Read Moreशब्द का मंथन न कोई। प्रेम का बंधन न कोई । व्यक्त कर दे भावना को । राह में अड़चन
Read Moreएक रिश्ते ने दिल तोड़ा तो जग को ही तुम छोड़ चले। बूढ़ी आँखों के सपने क्यों एक पल में
Read Moreमैं देखता रहा वो, भी देखती रही, मैं बात करता रहा, वो भी करती रही, वो मेरी जिंदगी में हर-पल
Read Moreबादलों को देखूँ तो दिखता है वही शख़्स , चांद की जगह अकसर देखा है मैंने जिसका अक्स । हर
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