पापा
वो स्नेह तो करते हैं जताते नहीं कभी एक आह पर मेरी प्राण निकलते हैं उनके चेहरे से मगर दर्शाते
Read Moreआज संसार मेँ सब दुखी हैं पंडित दुखी कम दक्षिणा से नेता दुखी है चुनाव मे हार जाने से नेता
Read Moreसपनो के यथार्थ ने मुझसे पूछा – क्या तुम मेरे पास ही रहोगे मैंने कहा – तुम्हें देखते देखते
Read Moreसौन्दर्य ही कर्तव्य दीख पड़ता है, जहां सौन्दर्य दीख पड़ता है। वहाँ कविता दीख पड़ती है , वही जीवन दीख
Read Moreतरु शिखा पर झूलते कल्पित सपन दरिद्र आकांछाएं चूमती नील गगन चहकती अंगना भर जीवन संगीत अदृश्य कड़ियों जकड़ी टूटे
Read Moreसिसकता गाँव, बिलखती गलियाँ पूछ रही पगडंडियाँ जाने वाले, फिर कब आओगे ? इस मिट्टी में बचपन बीता, बीत गयी
Read Moreह्मे लोगो ने मुस्कुराते देखा अंधेरो मे दीप जगमगाते देखा उन्होने इसे ढोंग समझा पर मुस्कुराना हमारी फ़ितरत मे है
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