धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ज्ञान के प्रकाश को फैलाने वाला पर्व गुरुपूर्णिमा

आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा का दिन भारतीय संस्कृति विशेषकर सनातन हिंदू संस्कृति में बहुत ही ऐतिहासिक दिन है। इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व भी है क्योंकि यह दिन व्यास जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। यह तिथि अपने गुरु को विशेष स्मरण अर्चन वन्दन के लिए समर्पित है। अपने समाज जीवन के […]

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मैं आस्तिक क्यों हूँ? (भाग – ५)

सर्वव्यापक एवं निराकार ईश्वर में विश्वास से पापों से मुक्ति मिलती हैं। एक उदहारण लीजिये एक बार एक गुरु के तीन शिष्य थे। गुरु ने अपने तीनों शिष्यों को एक एक कबूतर देते हुए कहा की इन कबूतरों को वहा पर मारना जहाँ पर आपको कोई भी न देख रहा हो। प्रथम शिष्य ने एक […]

कविता धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

फिर याज्ञसेनी प्रगटेगी…

फिर कोई याज्ञसेनी प्रगटेगी, धर्म को अधर्म के विरुद्ध खडा करेगी, जब भरी सभा मे उसकी लज्जा तार तार होगी, कुरुक्षेत्र की धधकती ज्वाला मेँ वो तलवार होगी। जब उसके केश कोई दुशासन गंदे हाथोँ से खेँचेगा, तब भीमसेन सा उसका रक्षक हुँकार भरेगा, दुर्योधनोँ की जंघाएँ उसके प्रताप से टूटेगी, फिर किसी अर्जुन की […]

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गंगा माँ का शोधन या पुनर्जीवन.

पुराणों के अनुसार भगवान के बिष्णु के अंगूठे से निकली गंगा ब्रह्मा जी के कमंडल में सुरक्षित थी. राजा सगर के वंशज भगीरथ के अथक प्रयास और शिव जी की कृपा से गंगा कैलाश पर्वत से होते हुए पृथ्वी पर आई और बंगाल की खाड़ी में जा मिली, जिससे कपिल मुनि की क्रोधाग्नि जले राजा […]

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आस्तिको का झूठा दावा-ईश्वर और उसकी सृष्टि परफेक्ट है

आस्तिक मित्र ईश्वर होने का प्रमाण देने के लिए एक तर्क यह भी देते हैं की ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई है , ईश्वर स्वयं तो सौ फीसदी परफेक्ट है ही उसकी बनाई यह दुनिया भी सौ प्रतिशत परफेक्ट हैं । परन्तु आस्तिको का यह तर्क भी तर्कहीन है , अव्वल तो आज तक किसी […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद केवल एक व्यक्ति का नाम नहीं है, ये एक महान शक्ति का नाम है! ये विचार नहीं है, आधार है! ये जीवन मूल्यों का ऐसा घनेरा वृक्ष है जिसकी शाखा के फलों के स्वाद की तुलना किसी से नहीं की जा सकती! स्वामी विवेकानंद केवल प्रेरणा नहीं हैं, प्राण हैं! विवेकानंद माने मूल्य, […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

साईं बाबा : जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी

हाल के दिनों में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द जी की ओर से साईं बाबा के बारे में जारी कुछ बयानों से एक ऐसा विवाद उठ खड़ा हुआ है, जिसका दार्शनिक दृष्टि से न कोई अंत है और न ही धार्मिक दृष्टि से कोई समाधान। शंकराचार्य जी की बात मौलिक रूप से सही प्रतीत हो सकती है, […]

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मैं आस्तिक क्यों हूँ ? (भाग – ४)

नास्तिकता को बढ़ावा देने में एक बड़ा दोष अभिमान का भी हैं। भौतिक जगत में मनुष्य ने जितनी भी वैज्ञानिक उन्नति की हैं उस पर वह अभिमान करने लगता हैं और इस अभिमान के कारण अपने आपको जगत के सबसे बड़ी सत्ता समझने लगता हैं। एक उदहारण लीजिये सभी यह मानते हैं की न्यूटन ने Gravitation अर्थात […]

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साई बाबा का विरोध कितना सही कितना गलत

  साईं बाबा के नाम को सुर्ख़ियों में लाने का श्रेय शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी को जाता हैं जिनका कहना हैं की साई बाबा की पूजा हिन्दू समाज को नहीं करनी चाहिए क्यूंकि न साई ईश्वर के अवतार हैं न ही साई का हिन्दू धर्म से कुछ लेना देना हैं। साई बाबा जन्म से मुस्लमान […]

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अरब के मुसलमानों से उच्चतम था भारत का ज्ञान

जब इस्लाम की भारत में पहली जीत सिंध में हुई तो इस्लाम के लिए यह कोई नई चीज नहीं थी क्यों की इससे पहले इस्लाम कई मुल्को में युद्ध कर के जीत चूका था । पर इस विजय से मुस्लिम संस्कृति पर गहरा असर पड़ा, मुसलमान भारत में आये तो भारत की उच्च संस्कृति देख […]