भाषा-साहित्य

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आर्यसमाज के दो अग्रणीय प्रकाशक ‘विजयकुमार गोविन्दराम हासानन्द, दिल्ली’ और ‘श्री घूड़मल प्रह्लाद कुमार आर्य धर्मार्थ न्यास, हिंडौन सिटी’

ओ३म् आर्यसमाज वेदों के पुनरुद्धार और विश्वव्यापी प्रचार का एक मात्र आन्दोलन है जिसका शुभारम्भ महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) द्वारा

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भाषा-साहित्य

पूर्वोत्तर भारत के लोकसाहित्य की विशेषताएँ

पूर्वोत्तर भारत के आदिवासी पर्वतशिखरों एवं सुदूर जंगलों में प्राकृतिक जीवन व्यतीत करते हैं जहाँ गीत गाते झरनों, बलखाती नदियों,

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ब्लॉग/परिचर्चाभाषा-साहित्य

हिंदी गौरव (हिंदी दिवस पर विशेष)

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और मातृभाषा भी है. यह संस्कृत, उर्दू, पाली, अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका, गुजराती, मराठी, राजस्थानी,

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इतिहासभाषा-साहित्य

आर्यभाषा हिन्दी के प्रचार व प्रसार में ऋषि दयानन्द का योगदान

ओ३म्   महर्षि दयानन्द (1825-1883) का जन्म गुजरात राज्य के मोरवी जिलान्तर्गत टंकारा नामक कस्बे में 12 फरवरी, सन् 1825

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