कहा जाता है कि यथार्थ को संजोते हुए जीवन की वास्तविकता का चित्रण कर समाज की गतिशीलता को बनाये रखने का मर्म ही कहानी हैं। लेकिन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है आधुनिक कथा साहित्य, क्योंकि जीवन वास्तविक तत्यों से कुछ हटकर ही आधुनिक कथा साहित्य ने रुप धारण कर लिया है। जिनसे […]
भाषा-साहित्य
यक्षगान : एक सांस्कृतिक कला
ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत कन्नड के श्रेष्ठ साहित्यकार श्री शिवराम कारन्त जी अपने ‘यक्षगान बयलाट’ शोधप्रबन्ध में कहते हैं- “ यक्षगान का सर्वप्रथम उल्लेख सार्णदेव के ‘संगीत रत्नाकर’ में लगभग १२१० ई. में ‘जक्क’ नाम से जाना जाता था, आगे ‘यक्कलगान’ के नाम से बदल गया। गंदर्वगान तो अब नाश हो गया है, पध्दति के […]
हिन्दी समालोचना: उद्भव, विकास तथा स्वरूप’
आलोचना या समालोचना किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्ततता का विवेचन करने वाली साहित्यिक विधा है। हिंदी आलोचना की शुरुआत १९वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतेंदु युग से ही मानी जाती है। कबीरदास ने भी निंदक को नियरे रखने की बात कही है, इससे पता चलता है कि व्यक्तित्व […]
ग़ालिब
ग़ालिब या शेक्सपियर की एक पंक्ति हज़ार अवसरों पर हज़ार नए अर्थ पैदा कर सकती हैं. ग़ालिब उर्दू का अत्यंत लोकप्रिय कवि हैं , उन्हें इकबाल और गेटे के समकक्ष माना जाता हैं. वे मानव नहीं मानव पारखी थे , ग़ालिब की अभिरुचि ,रस और आनंद की प्राप्ति में सीमाओं का बन्धन नहीं मानती. वे सौन्दर्य कों इस […]
महाभारत-१
महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की। यह भारत का सर्वाधिक प्रचलित ग्रन्थ है जिसमें वह सबकुछ है जो इस लोक में घटित हुआ है, हो रहा है और होनेवाला है। यह हमें अनायास ही युगों-युगों से चले आ रहे उस संघर्ष की याद दिलाता है जो मानव हृदय को आज भी उद्वेलित कर […]
जपानी काव्य विधायें
अनुभव की अभिव्यक्ति की अनेक विधायें हैं ….. हिन्दी की विधा है मुक्तक मुकरी छंद ….. तो जपानी विधा है हाइकु ….. हाइकु 3 पंक्तियों की कविता है ….. जिसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर(वर्ण) होते है दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है तीसरी पंक्ति 5 अक्षर(वर्ण) होते है आधे अक्षर की गिनती नहीं […]