भाषा-साहित्य

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यक्षगान : एक सांस्कृतिक कला

ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत कन्नड के श्रेष्ठ साहित्यकार श्री शिवराम कारन्त जी अपने ‘यक्षगान बयलाट’ शोधप्रबन्ध में कहते हैं- “

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हिन्दी समालोचना: उद्भव, विकास तथा स्वरूप’

आलोचना या समालोचना किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्ततता का विवेचन करने

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