हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग्य

असहनीय असहिष्णुता, सहा नहीं जाए रे, दंगों के बिना रहा भी नहीं जाए रे

वाकई भारत में बहुत ही ज्यादा और असहनीय असहिष्णुता का वातावरण है, सबका दम घुटने लगा है, खासतौर पर कुछ

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