मेरा भांजा
छोटा सा मुखड़ा
हँसती आँखें
खिलती जुल्फें
नटखट अदा से
दे जाता अपनापन
जीवन की लालसा
जिजीविषा जगाता
खुशियाँ बाँटता
मुझे माँ कह पुकारता
मुझमें कुछ भरता
एक रोशनी दे जाता
इस दुनिया में
सच्चा रिश्ता बताता
यह रिश्ता आज भी
कल भी
जीवन की सच्चाई दे जाता
सुन्दर सहज कविता ! लेकिन दुर्भाग्य की जीवन की इतनी आसानी से नजर आनेवाली सच्चाई देखने की फुर्सत किसे है ! आशा है बड़े बड़े धर्म ग्रंथों में इस सच्चाई को धुंडने वालो को आपकी यह कविता पढ़कर कुछ एहसास हो जाए !
वात्सल्य रस से पूर्ण सुन्दर कविता !