लघु कथा – स्वार्थी
दिवाकर नाथ अपनी पत्नी और इकलौते बेटे राजेश के साथ एक शहर में रहता था। मुहल्ले में कोई भी घटना होती , किसी पर भी कोई भी मुसीबत आती तो दिवाकर नाथ उसे अनदेखा करके, अपने घर के दरवाजे बंद कर लेता, किसी के दुख या परेशानी में कभी शामिल नही होता।
एक शाम दिवाकर नाथ काम से वापस लौट रहा था। रास्ते में मेन रोड पर काफी भीड़ जमा थी | किसी के कराहने की आवाज आ रही थी, शायद कोई दुर्घटना हुई थीं। हर बार की तरह दिवाकर नाथ ने भीड़ को अनदेखा किया ओर अपना स्कूटर दूसरी तरफ से निकालकर घर पहुंच गया |
घर पहुँच कर मुँह हाथ धोने के बाद चाय पीने बैठ गया और अपने बेटे राजेश का इंतज़ार करने लगा, जो अकसर इस समय तक काम से वापस आ जाता था , पर आज वो लेट था । काफ़ी देर तक इंतजार किया, फिर आफिस मे और दोस्तों को फोन किये ,पर उसका कुछ पता नहीं चला । अब दिवाकर नाथ और उसकी पत्नी परेशान हो गए और भगवान से अपने बेटे की रक्षा करने की प्रार्थना करने लगे । काफ़ी रात हो गई थी, तभी फोन की घंटी बजी । किसी ने बताया राजेश का मेन रोड पर एक्सीडेंट हुआ था, उसे जख्मी हालत में कुछ भले लोगों ने होस्पीटल पहुंचाया है। वक्त पर पहुंचने के कारण उसे बचा लिया गया है।
दिवाकर नाथ की आखों से आंसू बहने लगे। वो बडबडाने लगा- “हे भगवान… तो उस सडक पर मेरा बेटा तडप रहा था और मैं उसे वही तड़पता छोड आया |भला हो उन लोगों का जिन्होंने मेरे बेटे की जान बचाई । अगर वो भी मेरी तरह स्वार्थी होते, तो शायद आज मैं अपने बेटे को खो बैठता।”
जादातर लोग ऐसे ही होते हैं ….काश कुछ सीख सकें इस कहानी से !
कहानी पसंद करने के लिए और इतने हार्दिक कामेंट के लिए आप का दिल की गहराइयों से शुक्रिया जी ।
दिन हमेशा एक जैसे नहीं रहते , इस दुनीआं में रहते हैं तो यहाँ तक हो सके दूसरों के काम आना चाहिए . ऐसे लोग कभी ऐसा भी धोखा खा सकते हैं कि कोई उनकी मदद करने भी नहीं आता . पचास वर्ष पहले मैं ने एक बड़ा रिस्क लेकर एक आदमी की मदद की थी जिस की बदौलत आज तक पता नहीं कितनी बार उन्होंने मेरी मदद की . वोह मेरे सच्चे दोस्त हैं . अब टेलीफून करूँ तो उनके बच्चे भागे भागे आते हैं . सुआर्थी होना अच्छी बात नहीं है .
सच कहा आप ने भाई साहब । दुनिया इंसानियत , नेकी ,भलाई और प्यार से ही स्वर्ग बनती है स्वार्थ में जीने वाले लोग दुनिया को नर्क बना देते है । कहानी पसंद करने और इतने हार्दिक कमेन्ट के लिए हृदय से शुक्रिया ।
अच्छी कहानी. यह हमें हर समय स्वार्थ न देखने की सीख देती है.
कहानी पसंद करने के लिए और इतने हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया भाई साहब