हायकू : धरती – २
वृक्ष कटन
हताहत धरती
खल इंसान|
सलिल लुप्त
सुबकती धरती
वीरुध शून्य|
धरती पुत्र
नीलाम की अस्मिता
धन के लिए|
हृदय घाव
दिखलाती धरती
दरार रूप|
आहत आज
दिव्य पदार्थ धार्या
दुखित हुई|
स्वर्ग कश्मीर
भारत भूमि शोभा
तुषार पर्त|
— सविता मिश्रा
धरती माता के बारे में अच्छी भावनाएं.