देश की जनता की मानसिकता में बदलाव
1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान जब देश पर आर्थिक संकट आया था उस समय देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के किसानों से अधिक से अधिक खेती करके अपने देश को अनाज के लिये आत्मनिर्भर बनाने की अपील की थी और जनता को सप्ताह में केवल एक बार ब्रत रखने की अपील की थी l जिसके परिणाम स्वरूप देश के किसानों ने उनकी बात मानते हुए देश को अनाज से भर दिया था और जनता ने भी उसका भरपूर साथ दिया था l लेकिन आज के समय मोदी जी ने देश के आर्थिक सुधार के लिये कड़वी दवा पीने के लिये क्या कह दिया मानों देश के गद्दारों और फ्री का खाने वालों के पेट में मरोड़ उठने लगी है l
आखिर इतने दिनों में जनता की मानसिकता कैसे बदल गयी है, वो देशभक्ति की बात तो करती है लेकिन देश लिये करना कुछ भी नहीं चाहती है l इस समय देश के आर्थिक हालात अच्छे नहीं है पिछली सरकार ने देश को गर्त में डाल दिया है ऐसे समय में हमें मोदी सरकार के साथ 5 साल तक कदम से कदम मिलाकर चलना ही होगा ताकि देश फिर से सुचारु रूप से चलने लगे l जनता से अपील करना चाहूंगा की वो कांग्रेस और अन्य मोदी विरोधियों के बहकावे में ना आकर मोदी जी का साथ दें l
आपने सही लिखा है, लोगों में धैर्य नहीं है. पेड़ बड़े होने और फलों को पकने में भी समय लगता है. परन्तु लोग चाहते हैं कि पेड़ लगाते ही फल देने लगे, वे भी पके हुए. मोदी जी देश की हालत को सुधारने के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं. फालतू खर्च घटा रहे हैं, भ्रष्टाचार पर रोक लगा रहे हैं, कर्मचारियों को सक्रिय कर रहे हैं, इसका लाभ आगे चलकर जरुर मिलेगा. अच्छे दिन जरुर आयेंगे. उनकी सही नींव पड़ गई है. ईमारत भी बनेगी, जो बहुत शानदार होगी.