तुम बिन जीवन ना बीत रहा
अनुबंधों से सम्बन्धों में, सबकुछ आशातीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
द्रवित नहीं हूँ मैं प्रियवर, पर आशा भी रही नहीं
कोई दिवस नहीं जब, अंसुअन सरिता बही नहीं
बिना तुम्हारे हर्ष नहीं, हर क्षण अमर्ष प्रतीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
हार गया हूँ मैं प्रियवर,. लेकिन विश्वास नहीं हारा
विरह दंश है जीवन भर अब फिरता हूँ मारा मारा
बिना तुम्हारे तेज नहीं, तिमिर सूर्य से जीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
मुरझाया पुष्प प्रेम का मैं, वसंत में भी संत सा हूँ
तरस तरस के जीता हूँ , मैं जीवन के अंत सा हूँ
तुमबिन ऊष्ण कटिबंधों में प्रेम मेरा बस शीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
यज्ञ आहुति दे ना सकूँ, प्रिय अश्रु बनें मेरी बाधा
तुमसे विलग कभी भी मैंने, कोई लक्ष्य नहीं साधा
तुमबिन हूँ निकृष्ट मात्र, कोई ना कार्य पुनीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
अनुबंधों के सम्बन्धों में, सबकुछ आशातीत रहा
तुम बिन मैं जीवित तो हूँ पर जीवन ना बीत रहा
___________अभिवृत | कर्णावती | गुजरात
वाह ! वाह !! बहुत सुन्दर !!!