कविता

ज़िंदगी की क्विल्ट ….

मेरे हाथ में आस का धागा

तुम्हारे हाथ में दर्द की सुई

न तुम अपनी आन छोड़ना 

न मै अपनी ! 

..

तुम ज़िंदगी की चादर में 

दर्द के पलों से चुभते जाना

और मै तुम्हारे पीछे पीछे 

सब कटा-फटा सीती जाउंगी 

..

फ़िर एक दिन पलट कर 

तुम देखना और हैरान होना          

कि कैसे दर्द की तपिश में से 

जब ख़ुशी की फुहार फूटती है…

तो  पैबन्दों भरी जिदगी भी 

सुंदर क्विल्ट नज़र आती 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(चित्र गूगल से साभार)

मंजु मिश्रा

lives in California, email: [email protected] poetry blog : http://manukavya.wordpress.com

5 thoughts on “ज़िंदगी की क्विल्ट ….

  • Raj kumar Tiwari

    कविता अच्छी है। कैसे दर्द की तपिस से खुशी की फुहार छूटती है। ये पक्ति कुछ ज्यादा अच्छी लगी

  • dfork
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  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    कविता अत्ति सुन्दर , छोटी सी कविता में गहरे अर्थ .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कवितायेँ. पर गूगल वाले चित्र का उद्देश्य समझ में नहीं आया.

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