कहानी : अधूरे ख्वाब
नेहा के पास जीने का कोई मकसद नहीं रहा, बस जी रही थी, क्युकि मरना उसके लिए इतना आसान नहीं था | एक के बाद एक समस्याओ से उसका जीवन घिरा रहता था| पता नहीं वो कैसे ये सब बर्दाश्त कर लेती थी |या फिर इसके आलावा और कोई रास्ता ही नहीं बचा था उसकी समस्याओ का कहीं पर भी कोई अंत नहीं था |
नेहा ने अपनी शादी को लेकर बहुत सपने सजाये थे,जैसे हर लड़की सजाती है | जैसे – उसके सपनों का राजकुमार जब उसके जीवन मे उसका जीवन साथी बनकर आएगा तो वो उसे दुनिया भर के सुखो से उसे नवाज देगा |
समय आने पर जब नेहा की शादी हुई , ससुराल मे भरा पूरा परिवार था | सास नेहा से ज्यादा बड़ी बहु को चाहती थी | नेहा ने कुछ ही समय बाद सास के इस निर्णय को अपने अच्छे व्यवहार से बदल कर गलत साबित कर दिया | सास अब नेहा पर जान देने लगी | नेहा का पति एक प्राइवेट कंपनी मे काम करता था | तनख्वाह इतनी थी कि कुछ साल तो नेहा को उसके पति ने उसे हर वो सुख दिया, जिसकी उसने कल्पना की थी | बहुत खुश थी वो, उसकी गलती यही रही कि उसने कभी पति से ये नहीं पूछा कि इतना पैसा कहाँ से आ रहा है? क्या आपको इतने पैसे मिलते है ?
नेहा तो सुख के हिंडोले मे झूलती रही, समय बीतता रहा | दस वर्ष कब बीत गये पता ही नहीं चला | इसी दौरान वो दो बच्चो की माँ बन गयी | बच्चो के स्कूल के खर्चे शुरू हो गये थे | घर की जिम्मेदारी,बच्चो की स्कूल के खर्चे इन सब मे , नेहा का पति के एशो-आराम खो से गये, अब ना तो वो नेहा को कहीं बाहर ले कर जाता, ना खुद ही कोई फिजूल खर्ची करता |
नेहा का इसमें क्या दोष था | उसे तो कभी ये अहसास ही नहीं होने दिया कि उसके पति जो पैसा एश-आराम मे खर्च कर रहे है वो उनकी कमाई के नहीं, बल्कि दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लिए हुए थे |
नेहा एक बहुत अच्छी लेखिका थी, साहित्य जगत मे नामचिन हस्ती थी | बचपन से ही उसे लिखने का शौक रहा है | अनेक पत्र-पत्रिकाओ मे उसके लेख -आर्टिकल छपते रहते है | अपने पति की आर्थिक हालत देख कर, नेहा ने मन ही मन एक फैसला किया |
”मै अपनी एक कविता संग्रह की किताब छपवाना चाहती हूँ ,अगर आप मेरा साथ दे तो ,अपनी आर्थिक दशा भी सुधर जाएगी और मेरी इच्छा भी पूरी हो जाएगी जो बरसो से मेरे दिल मे दबी हुई है| नेहा की सास को भी नेहा का ये आइडिया बहुत पसंद आया, ”इससे नेहा जो इतनी अच्छी लेखिका होने के बावजूद अपनी एक भी किताब नहीं छपवा सकी , उसे भी लोगो के सामने अपना हुनर रखने का अवसर मिलेगा “|, नेहा की सास ने नेहा के सर पर हाथ रखते हुए कहा |
नेहा ने कविता संग्रह छपवाने की तयारी शुरू कर दी | अपनी लिखी हुई एक से बढकर एक कविताओं को इकठा किया | लेकिन जब प्रकाशक के यहाँ गये तो नेहा को अपना ये सपना पूरा होता नहीं लगा | उसने जो कीमत मांगी वो नेहा के बूते मे नहीं थी | बात वहीँ की वहीँ रह गयी | नेहा और उसके पति ने प्रकाशक से बहुत मिन्नत की पर वो टस से मस नहीं हुआ |
घर की हालत बद से बदतर हो गयी | नेहा ने हांर नहीं मानी ,उसको अपनी किस्मत पर पूरा भरोसा था | एक दिन बाद ही नेहा का एक लेख स्थानीय अख़बार मे छपा, जो प्रतिभाशाली लोगो की प्रतिभा अवसर और पैसो के अभाव मे दफन हो जाती है| अगर कोई उनकी मदद को आगे आये तो उनकी प्रतिभा को चार चाँद लग सकते है| उस प्रकाशक ने भी ये लेख पढ़ा और ”मैडम मै आपकी कविता संग्रह छापने के लिए तैयार हूँ, जैसे बन पड़े पैसे चूका देना | अपनी बहन समझ कर आपकी मदद करना चाहता हूँ , अगर आपको कोई एतराज न हो तो |”. अंधे को क्या चाहिए दो आँखे -जैसे नेहा को दुनिया भर का सुख मिल गया हो ,जैसे वो किसी राज्य की राजकुमारी बन गयी ,इतनी ख़ुशी हुई उस भले आदमी की बात सुन कर |
नेहा के कविता संग्रह ने साहित्य जगत मे अपना एक विशिष्ठ स्थान बनाया | लोगो ने बहुत सराहा | कुछ ही दिनों मे सारी किताबे बिक गयी | नेहा की सास बहु की इस कामयाबी से बहुत खुश हुई | पर ऊपर वाले ने नेहा के जीवन मे ख़ुशी के पल कम ही लिखे है | पति एक दुर्घटना मे अपना एक पैर खो बैठा , नौकरी से भी हाथ धोना पडा| लम्बे समय तक अस्पताल मे इलाज चला , घर मे रखा एक एक पैसा इलाज मे चला गया |
अब तो नेहा के लिए घर चलाना मुश्किल हो गया| कभी -कभी तो राशन के लिए भी एक पैसा नहीं होता था पास मे| इस मुश्किल घड़ी मे दिमाग ने भी काम करना छोड़ दिया था| ”मम्मी आप फिक्र न करो अब मै बड़ा हो गया हूँ, घर की जिम्मेदारी मै उठाऊंगा|” नेहा के पंद्रह साल के बच्चे सिरिश ने कहा | नेहा उसको गले से लगा कर रोने लगी | ”तुम अभी बहुत छोटे हो, तुम अपनी पढाई मे ध्यान दो , बहुत मुश्किल से तुम्हारे स्कूल की फीस भर पाती हूँ |”
नेहा ने कभी नहीं सोचा, उसका जीवन काँटों भरा होगा ! उसके सारे सपने शादी के कुछ ही समय बाद प्रतिकूल परिस्थति के चलते दफन हो गये , रह गये केवल दुःख और तखलीफ़ जिसके साथ उसको अपना बाकी का जीवन काटना है |
अच्छी कहानी. बहुतों के ख्वाब अधूरे रह जाते हैं. इस सच्चाई को वही झेल पाते हैं, जिनमें धैर्य और आत्मविश्वास होता है.
धन्यवाद.