हायकु
सिमटा हुआ
विविध रंग रूप
स्टेशन पर|
दूर गंतव्य
द्रुतगामिनी यात्री
प्रतीक्षारत|
दो पाट मध्य
दौड़ती जीव यात्रा
स्वमेव लक्ष्य|
गठरी बाँध
मुसाफिर चलता
गंतव्य तक|
दूर गंतव्य
द्रुतगामिनी यात्री
प्रतीक्षारत|
ट्रेन-जीवन
लौह पथ होकर
प्राप्त गंतव्य|
द्रुतगामिनी
दुःख सुख है संग
जीवन पथ|
भागती रेल
ठहरी सी जिन्दगी
दौड़ते लोग|
चीख पुकार
भगदड़ मचती
ट्रेन आते ही|
देर से आती
पलक झपकते ही
रफ्फूचक्कर|
थक के चूर
कालका अभी दूर
यात्री सुस्ताये| सविता मिश्रा
बहुत रोचक हाइकु. लगता है कि शिमला की यात्रा कर रहे हैं.
नमस्ते भैया ……शुक्रिया 🙂
सविता जी , कविता बहुत अच्छी है
नमस्ते भैया .शुक्रिया