जो ख़ुद है भूखा–नंगा, उसको भी कश्मीर चाहिए
अपना देश न संभल रहा और नई जागीर चाहिए
जो ख़ुद है भूखा–नंगा, उसको भी कश्मीर चाहिए
धर्म के नाम पर हुआ जो पैदा
अब स्वयं धर्म है …भुगत रहा
आतंकी है पर ……ढीठ बड़ा
कश्मीर की ..लगा जुगत रहा
अपना नाश है कर बैठा, ..उसे नई तकदीर चाहिए
जो ख़ुद है भूखा–नंगा, उसको भी कश्मीर चाहिए
कितनी बार है मुंह की खाई
है कितनी बार हुआ शर्मिंदा
फिर भी नीच दुष्ट है कितना
रोज आतंक है करता जिंदा
वार्ता का है अभिलाषी, पर इसको शमशीर चाहिए
जो ख़ुद है भूखा–नंगा, उसको भी कश्मीर चाहिए
______________अभिवृत | कर्णावती |गुजरात
पाकिस्तान मानवता पर एक धब्बा है.
आपका हार्दिक आभार
आपने इस कविता में पाकिस्तान के दोमुंहेपन को अच्छी तरह बेनकाब किया है.
आपका हार्दिक आभार…
अच्छी कविता. एक सत्य को व्यक्त करती है.
आपका हार्दिक आभार …….