हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को
नागफनी खा ही जाती है, ऊँचे छायादारों को
हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को
अधिक सहन-शक्ति भी कायरता कहलाती है
मानव कायर हो जाये तो मानवता मर जाती है
पड़े – पड़े जंग लग गई है देखो हथियारों को
हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को
वर्णित है ये वर्षो से, भय बिन प्रीत नहीं होती
कुछ भी कर लो, बिन युद्ध के जीत नहीं होती
दंड तो अब देना ही होगा, सारे मक्कारों को
हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को
सर्व धर्म समभाव हैं बस इंसानों के लिए बनें
वो तो रक्त पिपासू हैं, सबके लिए शैतान बनें
आर्य ही सबक सिखायेंगे इन पापी हत्यारों को
हमनें भी तो पाल के रक्खा है सारे गद्दारों को
________अभिवृत | कर्णावती | गुजरात
अभिवृत जी , अविता अच्छी है , जो गद्दार हमारे देश में पल रहे हैं उन को सजा देने का वक्त आ गिया है . अगर मोदी जी के कार्य काल में नहीं हुआ तो कभी नहीं होगा बल्कि गद्दारों की संखिया और बड जायेगी .
हार्दिक आभार आदरणीय …सही कहा आपने
बहुत अच्छी कविता, अभिवृत जी. सच कहा आपने, गद्दारों को हमने ही पाल रखा है.
आपका हार्दिक अभिनन्दन विजय जी …