।। ग़ज़ल ।।
जीते जी आराम कहाँ है ।।
मरकर भी विश्राम कहाँ है ।।
हमने प्यार किया हम दोषी ।।
आपके सर इल्जाम कहाँ है ।।
रूके रूके हैं सारे पुर्जे ।।
जाने चक्का जाम कहाँ है ।।
शहर नहीं सारी दुनिया में ।।
हम जैसे बदनाम कहाँ है ।।
हमको क्यों बुलाएंगे वो ।।
अभी हमारा नाम कहाँ है ।।
हम ना होंगे जब महफिल में ।।
सब पूछेंगे श्याम कहाँ है ।।
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संदीप श्याम
बहुत बढ़िया गजल आदरणीय
बहुत अच्छी ग़ज़ल।
वाह वाह कमाल लिखा है !!