कविता : दिल का चमन
दिल का चमन
हम दिल का चमन तेरी खातिर महकाते ही बस जायेंगे।
खुशियाँ हों या ग़म हर पल हर दिन, हर हाल सदा मुस्कायेंगे॥
है रिश्ता अपना अहम बड़ा, एहसास ये हमको तुमको है।
मजबूत क़दम मंज़िल की तरफ़, ताउम्र बढ़ाते जायेंगे॥
काँटों की चुभन को भूल के हम, बस फूल ही चुनते जायेंगे।
गर दर्द सनम तुझसे भी मिला, हम दवा मानते जायेंगे॥
हर अड़चन को आगे की बस, सीढ़ी ही समझते जायेंगे।
हर साँस सनम मक़्सद-मंज़िल, हम तुझे मानते जायेंगे॥
हर रोज़ नई ही तरहा से, बच्चों के दिल को बढ़ायेंगे।
जोख़िम वाले हर काम को ख़ुद, पहले ही करते जायेंगे॥
‘बेदिल’ कितने हों या मसरूफ़, तुझको ना कभी भी भुलायेंगे।
हर जगह सनम तेरी ही कोई तस्वीर लगाते जायेंगे॥
‘बेदिल’ बदायूँनी
शानदार अभिव्यक्ति …. खुबसूरत रचना ….
bahut khubsurt _/_
अच्छी कविता, अनूप जी।