कविता

प्रेम और आग

विश्वभर में एक भारत

जीता अनेक विविधताओं संग

नापाक इरादे रखने वाले

खुद को कहते हैं

पाक के रखवाले

सीमा पर बरसाते

नये-नये आग के रंग

भारत करता प्रेम कि वर्षा

फिर भी नहीं बुझती

नापाक की द्देष और ईर्ष्या

अब नीर ना बहेगा

अब प्रेम को

भारत ना तरसेगा

बहुत कर लिया प्रेम वार्ता

तुम ना सुधरे

तो अब कौन सुधरेगा?

तुम आग बरसाना बंद कर दो

क्योंकि

आग से आग ही बरसेगी …..

संगीता कुमारी

पिता का नाम---------------श्री अरुण कुमार माथुर माता का नाम--------------श्रीमती मनोरमा माथुर जन्मतिथी------------------- २३ दिसम्बर शिक्षा सम्बंधी योग्यता-----दसवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बारहवीं (सी.बी.एस.ई) दिल्ली बी.ए, दिल्ली विश्वविद्धालय एम.ए (अंग्रेजी), आगरा विश्वविद्धालय बी.एड, आगरा विश्वविद्धालय एम.ए (शिक्षा) चौधरी चरणसिंह विश्वविद्धालय रुचि--------------------------पढना, लिखना, खाना बनाना, संगीत सुनना व नृत्य भाषा ज्ञान-------------------हिंदी, अंग्रेजी काव्य संग्रह--- ह्रदय के झरोखे (यश पब्लिकेशन दिल्ली, शाहादरा) कहानी संग्रह--- अंतराल (हिंदी साहित्य निकेतन, बिजनौर उत्तर प्रदेश) काव्य संग्रह संगीता की कवितायें (विंध्य न्यूज नेट्वर्क) पता--- सी-72/4 नरोरा एटॉमिक पावर स्टेशन, टाउन शिप, नरोरा, बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, पिन—203389 मोबाईल नम्बर—08954590566 E.mail: [email protected] [email protected] www.sangeetasunshine.webs.com

2 thoughts on “प्रेम और आग

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    अच्छी कविता है . अगर भारत कश्मीर भी दे दे तो भी आग बरसती रहेगी . जिस धर्म की बुनिआद ही आग पर हो उस पर आशा रखना ही मुर्खता है . हमारी हकूमत को शान्ति का अलाप बंद कर देना चाहिए .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता संगीता जी, आगे भी ऐसी कविताओं की आशा है.

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