वह बचपन सुहाना
वह मासूम नादान , वह नटखट ज़माना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना |
जब थे नन्हे बच्चे , मां की गोद बिछौना
बाहों का झूला , वह झुंझने का खिलौना
बेफिक्र नींद ,मीठे सपनों की खुमारी
थी नन्ही गुड़िया, मां की राजकुमारी
टिमटिमाते नीले गगन के तले
सुनते हुए मां की लोरी, वो परियों का आना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना |
करते बादलों की सैर , परियों के देश जाते
चंदा मामा की चंदनिया से तन-मन चमकाते
टाफ़ियां खिलोने ,सितारों के सिंगार
बादलों की कुल्फ़ी, चंदामामा का प्यार
जादुई पोशाकें ,वे हीरों के ताज
वो परियों का बादलों पर झूला झुलाना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना |
सुबह आंख खुलते ही मां के दीदार पाना
तोतली ज़ुबां से दिल की बातें समझाना
लेते शिक्षा बड़ों से ,बातें वफ़ादारी की
सुनते-सुनाते कहानियां राजे रानियों की
बाबुल संग दुनिया में चलना फ़ख़्र से
हाथ थाम भैया का पाठशाला जाना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना |
सखियों संग किकली कोकलाछपाकी
रंगीली होली ,दिवाली ,भैया की राखी
मिट्टी के खिलौने ,गुड़िया की शादी
छुप छुप के , मां नैनों से गंगा बहाती
दिल के टुकड़े को सीने से लगाके
मुख चूम कहती ऐ चिड़िया तुझे भी उड़ जाना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना |
हुए क्यों बड़े, रह जाते छोटे
सदा मां के आचल में बचपन बिताते
रोये मां बाबुल, सखियां और भाई
पत्थर रख सीने पे करदी विदाई
समझ में न आए ये रीत पुरानी
क्यों छोड़ घर बाबुल का हर बिटिया को जाना
बहुत याद आये मुझको ,वह बचपन सुहाना
वह मासूम नादान , वह नटखट ज़माना |
अतीव सुंदर कविता के लिए आभार
हौंसला अफजाई के लिए दिल की गहराईओं से शुक्रिया भाई साहब
आभार
बहुत सुन्दर कविता
होंसला अफजाई के लिए बहुत शुक्रिया सविता जी ,आगे भी आप का इन्जार रहेगा |
मंजीत , कविता बहुत सुन्दर है . कोई पूछे कि कौन सा समय जिंदगी में पियारा है तो हर कोई बचपन ही कहेगा . तभी तो जगजीत जी का गाना अच्छा लगता है , वोह कागज़ की कश्ती वोह बारिश का पानी . कितनी मासूम खेलें हुआ करती थी . मुझे याद है जब हम बूट पालिश की डिबिया से तकड़ी बनाते थे . दूकान सजा लेते थे , और गाहक भी खुद ही बन जाते थे . कितनी ख़ुशी होती थी इन छोटी छोटी बातों से . माँ के साथ मस्तिआन करना . कविता से मज़ा आ गिया .
आप ने बिलकुल सही कहा भाई साहब बचपन का समय बहुत प्यारा होता है उस सुहाने समय को याद करके इंसान के चहरे पर मुस्कराहट आ जाती है| देखा, आप को भी अपना बचपन याद आ गया और आप को दिल की ख़ुशी दे गया । बचपन को याद करते करते , कब मुझसे इस कविता की रचना हो गई मुझे पता ही नहीं चला । कविता को पसंद करने के लिए बहुत शुक्रिया जी |
बहुत सुन्दर कविता. बचपन का समय वास्तव में सबसे सुहाना होता है.
बहुत शुक्रिया भाई साहब