कविता : सीली यादें
आहा ! प्यार भरी वो बारिश…….
सदा याद रहेगी मुझको
जी भरकर भींगे थे हम
हर लम्हा हर पल
जीया था हमने
इन्द्रधनुषी सपने जैसा ,
पर बरसात के मौसम की तरह
तुम भी अब गुम हो गए हो कहीं ……….
कई मौसम आये गए
पर तुम न आये ,
अब तो बस
रह गयी है
कुछ सीली यादें …..
अलमारियों मे
बंद खतों मे अब
फफूँदी लग गयी है ,
जिसे हर बरसात के
बाद साफ़ कर धुप मे
रख देती हूँ ……….
दिल की दीवारों से भी अब
पपड़ी बन झड़ने लगी है
तुम्हारी यादें ,
और धब्बे नज़र आने लगे हैं
उन पर दुबारा कितना भी रंग
क्यों न चढ़ा लो ,
वो अपने होने का एहसास
करा ही जातें हैं.………
रेवा
shukriya
अच्छी कविता रेवा जी .
अच्छी कविता रेवा जी.