विज्ञान वरदान या श्राप
विज्ञान वरदान या श्राप
जब हम स्कूल यां कालेज में होते थे तब हमें अकसर यह लिखने को कहा जाता था कि आप अपने शब्दों में यह अभिव्यक्ति करें कि विज्ञान वरदान है श्राप , उस समय तो यही लगता था विज्ञान वरदान है , क्योंकि उसमें हानियां कम लाभ ज्यादा था , और उस दौर में विज्ञान ने इतनी तरक्की तो नहीं की थी जितनी आज की है , पर उस दौर में लोगों में मानवता थी भले ही वो दूर दराज की दुनियां के लोगों से अनजान थे पर फिर भी रिश्ते काफी मजबूत और भावनात्मक थे , लोग एक दूसरे की भावनाओं को समझते थे , लेकिन आज जितनी तेजी से तरक्की हो रही है लोगों में मानवता का स्तर उतनी ही तेजी से नीचे गिरता जा रहा है ।
जहां फेसबुक और व्हाटस एप्प और ऐसी कई सोशल साईटस की वजह से दूर दराज के लोग पास आ गये हैं , दोस्तों की संख्या बढ़ने लगी है , वहीं इनके ज्यादा इस्तेमाल से पास के रिश्ते दूर होते जा रहे हैं ।और इतना ही नहीं यहां तक कि लोगों में इन चीजों में अपडेट रहने की इतनी होड़ मची है कि लोग संवेदन हीन होते जा रहे हैं , समझ नहीं आता कि कैसे समझाया जाये ऐसे लोगों को कि आप एक मशीन नहीं संवेदना से भरे हुए , भावनाओं से भरे हुए इन्सान हो ।
कुछ दिन पहले दिल्ली के एक चिडीयाघर में महज बीस साल की उम्र वाला लड़का बाघ के पिंजरे में गिर गया , कुछ लोग चिल्लाकर उसे भगाने की कोशिश करने लगे वहीं पर कुछ लोग अपना मोबाईल निकाल कर उसका वीडियो बनाने लगे , महज एक दिन में वह वीडीयो लगभग हर किसी के पास पहुंच गया । उन तस्वीरों को देख कलेजा मुंह को आ रहा था , पर साथ ही एक विचार मन में कौंधने लगा , कि जहां इस तरह के वीडियो हमसे देखे तक नहीं जा रहे, तो वहां खडे उन सज्जन को तो साक्षात् दंडवत प्रणाम करना चाहिये जिसने उस युवक को बचाने का प्रयास करने की बजाय वहां खडे होकर यह सब रिकार्ड करने का ख्याल आया , उन्होंने वहां आफिस में जाकर अफसरों को सूचित करने के बजाय उस युवक को बचाने की कोशिश करने के बजाय वहां रहकर उन पलों को कैमरे में कैद करना ज्यादा सही लगा , ताकि वह अपने दोस्तों को अपने ग्रुपों यह वीडियो भेजकर यह दर्शा सकें कि वह कितने अपडेट रहते हैं ,
सिर्फ यही नहीं कई बार तो ऐसी तस्वीरें देखने में आई हैं जिनको देख मानव हीनता साफ़ झलकती है , एक जगह दुर्घटना में एक परिवार का एक्सीडेंट हो गया था पति-पत्नी व छोटा सा बच्चा अपनी एक्टिवा पर कहीं जा रहे थे और रास्ते में ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी , बजाय उस एक्टिवा को उठाकर यह देखने के कि वह लोग जिंदा हैं या मर गये या उन्हें उठाकर जल्द से जल्द हास्पिटल पहुंचाने का प्रयास करने के , वहां खडे लोगों को पहले उनकी तस्वीरें लेना ज्यादा उचित लगा उन तस्वीरों में साफ दिख रहा था वह तीनों रोड पर गिरे हुए थे और उनकी अपनी ही गाडी उनके ऊपर थी । किसी ने भी गाडी तक उठाने की ज़हमत नहीं की थी ।
वहीं एक और जगह किसी नवयुवक की बाईक फिसलने से वह लोहे के गेट पर लगे तारों पर जा गिरा जिससे उसका सर धड़ से अलग हो कर वहीं सलाखों पर अटक गया था , वहां उसके बचने की उम्मीद तो नहीं पर पर इस तरह के किसी के तारों पर लटकते हुए सर की तस्वीरें खीचकर दूसरों को भेजना कहां की मानवता है ???
कहीं किसी लड़की का बलात्कार कर इन्सानियत को शर्मसार करने वाले लोगों ने तो वह कृत्य कर लड़की की लाश को वहीं नग्न अवस्था में फेक दिया पर वहां खडे लोगों ने उस बहू, उस बेटी , उस माँ ,को पहले ढकने के बजाय उसकी तस्वीरें लेकर सोशल साईटस पर शेयर करना ज्यादा जरूरी समझा ।
सिर्फ यही नहीं धार्मिक भावनाओं को भड़काना , लड़कियों के अश्लील क्लिप फैलाना ब्लैकमेल करना और न जाने क्या -क्या ,,,,,,,,,, उफ्फ्फ्
मैं ऐसे लोगों से इतना ही अनुरोध करना चाहूंगी कि कृप्या इस तरह अपनी मानव हीनता न दर्शायें
वह बाघ के पिंजरे में गिरा हुआ लड़का,
वह एक्सीडेंट में मरा हुआ परिवार ,
वह गेट के सलाखों पर लटकता हुआ सर ,
वह नग्न अवस्था में पडी किसी लड़की की लाश
वह आपके कुछ न सही पर किसी न किसी घर के बच्चे हैं ,किसी का परिवार हैं , जब घूम फिरकर ऐसी तस्वीरें उनके परिवार के लोगों तक पहुंचेगी तब मुझे नहीं लगता कि उनके मुंह से दुआएं निकलेगी ऐसे लोगों के लिये , और हमारे बडे तो यही सिखाते हैं कि किसी की बददुआएं कभी नहीं लेनी चाहिये । इसलिये विज्ञान का उपयोग करें दुरउपयोग नहीं ।
प्रिया वच्छानी
बहुत अच्छा लेख है , विजय भाई ठीक कह रहे हैं कि विगियान्न वरदान ही है लेकिन इस का कुछ लोग गलत उपयोग कर रहे हैं . यह तो ऐसे ही है जैसे घर में सब्जी काटने के लिए छुरी है जिस पर हम सभी निर्भर हैं लेकिन वही छुरी जब किसी के क़त्ल का कारण बनती है तो श्राप बन जाती है . अब सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं , बहुत दफा इस में कोई चोर या कातिल पकड़ा भी जाता है और यही कैमरे को मिसयूज़ भी किया जाता है . अब विगिआन की वजह से भारत ने मंगल्यान को पहली दफा ही मार्ज़ के ऐत्मोस्फ़िअर में भेज दिया है. किया मालूम एक दिन कोई ऐसा गृह मिल जाए यहाँ रहना संभव हो जाए , फिर यह पापुलेशन का बढना कोई बोझ ना रहे . क्राइम पहले भी होते थे लेकिन वोह मिडिया के अभाव से गुप्त रह जाते थे लेकिन अब छोटी सी खबर मिनटों में सारी दुनीआं में शोर मचा देती है . बस एक सिक्के के दो पैहलू हैं .
शुक्रीया गुरमेल सिंह जी
बहुत अच्छा लेख. विज्ञानं वरदान ही है, परन्तु मनुष्य अपनी मूर्खता से इसको अभिशाप बना देता है.
शुक्रीया विजय कुमार सिंघल जी