कल और आज
कल –
नयन खोलकर
देखता रहा
आने तक तुम
स्नेह को पाने
प्यार का…
आज –
नयन खोलकर
देखता रहा
आने तक तुम
अदालत के सामने
उपेक्षा से
न्याय को पाने
प्यार का…
कल –
नयन खोलकर
देखता रहा
आने तक तुम
स्नेह को पाने
प्यार का…
आज –
नयन खोलकर
देखता रहा
आने तक तुम
अदालत के सामने
उपेक्षा से
न्याय को पाने
प्यार का…
Comments are closed.
अच्छी कविता. यही आज का सत्य है.