कविता

उपवास करवाचौथ का ??

करवाचौथ …
क्या ये उपवास
लौटा सकता है ?
उस विधवा के मांग का सिंदूर
जो कुछ दिन पहले
सीमा के पास रह रहे
उस नवेली दुल्हन की
सितारो वाली चुंदङी
उड़ा कर ले गये
क्या ये उपवास
लौटा सकता है?
उस सुहागन का मांग टीका
जो बिना किसी कारण
शिकार बना
उन दंगो का
जिससे उसका दूर दूर तक
कुछ लेना देना भी न था
क्या ये उपवास
लौटा सकता है?
उस औरत का विश्वास
जो किसी परनारी पर
आंख रख बेठे
अपने पति की वफादारी को
पढ भी नही पाती
क्या ये उपवास
लौटा सकता है
उस बहन का सुहाग
जो गल्ती से पेट की खातिर
सीमा पार कर चल पङे
पर सालो साल
बंदी रहे
बिना किसी अपराध
घुट घुट…तिल तिल कर मरे
क्या ये उपवास
लौटा  सकता है?
उस बहन का सिंदूर
जो सीमा पर लङने हेतु भेज गई
अपने सिदूंर को
ताकि महफूज रहै
लाखो बहनो का सिंदूर
करते तो हम सभी है
इस उपवास पर विश्वास
पर …
क्या ये उपवास
लौटा सकता है?
वो अधूरी आस
जिसके लिये न भूख लगे ना प्यास
बस जिवित रहता है
एक अहसास …कि
ना छुटे विश्वास

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]

One thought on “उपवास करवाचौथ का ??

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत भावुक कविता है , लेकिन मजबूरी यह भी है कि संसार के सभी कारज खड़े भी नहीं हो सकते . इन मज्बूरिओं के बावजूद show must go on .

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