डा श्याम गुप्त की ग़ज़ल…
खुशी लुटाकर खुश
कोई सबको हंसाकर खुश |
कोई सबको रुला कर खुश |
कोई छंद सजाकर खुश |
कोई ग़ज़ल सुनाकर खुश |
कोई गले लगाकर खुश |
कोई हमें सताकर खुश |
कोई बात बनाकर खुश |
कोई दरी उठाकर खुश |
कोई महफिल जाकर खुश |
कोई घर में गाकर खुश |
कोई प्रीति बसाकर खुश |
कोइ प्रीति भुलाकर खुश |
हलुआ खीर मंगाकर खुश ,
कोई रूखा खाकर खुश |
कोई सब कुछ पाकर खुश |
श्याम’ तो खुशी लुटाकर खुश ||
धन्यवाद गुंजान एवं विजय जी ….
nyc
अच्छी ग़ज़ल !