क्या हिन्दू मुसलमान गंगा जमुना की तहजीबी संस्कृति नाम के सिक्के के दो पहलु हैं?
आप सभी ने अनेक लोगो के मुख से सुना होगा कि हिन्दू और मुसलमान एक ही सिक्के के दो पहलु हैं मगर सत्य क्या हैं। दोनों की तुलना करने से उत्तर स्वयं प्रकाशित हो जायेगा।
हिन्दू- सभी के साथ सदा प्रेम का व्यवहार करना चाहिए।
मुसलमान-अल्लाह गैर मुसलमान यानि काफिरों को मिटाने के बदले जन्नत बख्शता हैं।
हिन्दू- सभी पशुओं से मित्र समान व्यवहार करो। उन्हें न कभी तंग करना और न ही कभी मारना चाहिए।
मुसलमान- अल्लाह ने पशुओं को हलाल करने के लिए भेजा है। उनकी क़ुरबानी से अल्लाह खुश होते हैं।
हिन्दू- संयम, ब्रह्मचर्य इस जीवन में सफलता की कुँजी हैं।
मुसलमान- भोग इस जीवन का न केवल भाग हैं अपितु 72 हूरों, 28 लौंडों और शराब की नहरों जैसे भोगों से भरी जन्नत इस जीवन का परम लक्ष्य हैं।
हिन्दू- किसी को सताएं मत , किसी को अपने में मिलाने लिए जोर जबरदस्ती मत करो।
मुसलमान- हर मुसलमान का यह कर्त्तव्य हैं की वो हर गैर मुस्लमान को इस्लाम में आने की दावत दे। अगर न माने तो जोर जबरदस्ती भी करे।
हिन्दू- जिस भी राष्ट्र के वासी हो उस राष्ट्र के प्रति देशभक्त रहे, यही उसका धर्म हैं।
मुसलमान- जिस भी राष्ट्र के हो परन्तु उनकी वफ़ादारी अरब के लिए सबसे ऊपर होनी चाहिए।
हिन्दू- जो सत्य मार्ग पर चलेगा उसका भला होगा।
मुसलमान- जो मुसलमान होगा केवल उसका भला होगा।
अब आप बताये की दोनों विचारधाराओं में न केवल भारी भेद हैं अपितु दोनों एक दूसरे के विपरीत हैं फिर हिन्दू मुसलमान को गंगा-जमुना की तहजीबी संस्कृति नाम कहना एक धोखा नहीं तो और क्या हैं। खेद हैं की मुसलमानों में अश्फाकुल्लाह और अब्दुल कलाम जैसे देशभक्त बहुत थोड़े हैं।
हिन्दू और मुसलमानों को समान बताकर तुलना करना महामूर्खता है. दोनों में जमीन आसमान का अंतर है. विचार, आचरण, मानसिकता और सभी में. लेख में केवल संकेत मात्र किया गया है, जबकि विषमताओं की सूची बहुत लम्बी है.