मिलने लगे अच्छे दिनों के संकेत
जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बने हैं तब से उन्हें विभिन्न चुनौतियों का लगातार सामना करना पड़ रहा है। मीडिया में उनके द्वारा किये गये अच्छे दिन लाने के वायदे का खूब मजाक भी बनाया जा रहा था जिसका सिलसिला अभी भी जारी है। लेकिन अब उसमें कुछ कमी आती दिखलायी पड़ने लग गयी है। भारत सवा अरब की आबादी वाला अनेकानेक समस्याओं से घिरा हुआ देश है। लेकिन भारत को अब एक ऐसा प्रधानमंत्री मिल गया है जो कि देश की हर समस्या का समाधान करने के लिए पूरे तन-मन से जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी व उनकी कैबिनेट के कामकाज का असर अब धीर-धीरे दिखलाई भी पड़ने लग गया है। विगत दिनों देश में कई ऐसी छोटी-मोटी किन्तु काफी महत्व की घटनाएं घटी हैं कि उनसे अच्छे दिनों के संकेत दिखाई पड़ने लग गये हैं।
मोदी सरकार के पांच माह के कार्यकाल में महंगाई की दर लगातार कम हो रही है वहीं साथ में अंतर्राष्ट्रीय बाजर में आयी कच्चें तेल के दामों की गिरावट का लाभ भी अब मिल रहा है। महंगाई की दर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर पहंुच गई है। खुदरा महंगाई में तेज गिरावट के बाद अब थोक महंगाई दर सिंतबर महीने में घटकर सिर्फ 2.38 प्रतिशत रह गई हैं। अगस्त में यह दर 3.74 प्रतिशत और पिछले साल सितम्बर में यह 7.05 प्रतिशत थी। उधर सरकारी तेल कंपनियां भी अब लगातार पेट्रोल और डीजल के दामों को कम करने लग गयी हैं। आज पूरा देश पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के काम की तारीफ कर रहा है। यह पहले ऐसे तेल मंत्री हैं जिनके नेतृत्व में तेल और डीजल के दामों में भारी कमी आ रही है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी उनके काम की सराहना कर चुके हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि इसी अनुपात से लगातार दाम होते रहे तो मध्यम वर्ग व गरीब लोगों को बडी राहत मिलेगी। अनुमान है कि पेट्रोल डीजल के दाम पचास रूपये के आसपास तक जा सकते हैं।
खुदरा बाजार में दामों में आ रही गिरावट का असर ब्याज दरों में भी दिखलाई पड़ सकता है। मीडिया व टी वी चैनलोे में चर्चा है कि अभी केवल सरकारी आंकड़ों में ही महंगाई की दर कम हुई है जो कि अब केवल सरकार को बदनाम करने के लिए प्रचार किया जा रहा है। अब बाजारों में दैनिक उपभोग की वस्तुओं के दामों में भी कई रूपये की गिरावट स्पष्ट रूप से देखी जा रही है। महंगाई पर यह नियंत्रण सरकार ने उस समय कर दिखाया है जबकि देश के कई हिस्सो में सूखा पड़ा तो कहीं पर भयंकर बाढ़ आई या फिर हाल ही में हुदहुद जैसे तूफानों का असर हो गया। प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसलों को भारी नुकसान हुआ है। फिर भी महंगाई नियंत्रण में हैं। यह एक अच्छी बात है।
वित एवं रक्षा मंत्री अरूण जेटली इधर कई दिनों से लगातार अस्वस्थ चल रहे हैं तथा उनके ऊपर काम का बोझ भी है लेकिन फिर भी वे बिना रूके हुये काम कर रहे हैं। जबकि विपक्ष केवल आलोचना करके सरकार पर बेसिरपैर का मनोवैज्ञानिक दबाव बना रहा है। राजनैतिक व आर्थिक विश्लेषकोें का मत है कि यह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी कैबिनेट की मेहनत का ही परिणाम है कि आज विदेशी निवेशकों का भरोसा एक बार फिर कायम हुआ है और अब लगभग 100 हज़ार करोड़ से भी अधिक निवेश भारत आने की तैयारी कर रहा है। इसके संकेत प्रधानमंत्री की विगत दिनों संपन्न हुई विदेश यात्राओं से ही मिलने लग गये थे। आज देश की आर्थिक स्थिति जो पटरी आती दिखलाई पड़ रही है उससे यह साफ पता चल रहा है कि अभी तक जो सरकारें थीं वह सभी वंशवाद की परम्परा का निर्वाहन कर रही थीं। भ्रष्टाचार और अनिर्णय की अक्षमता में डूबी हुई थीं। देश के कई मंत्रालयों की बहुत सी परियोजनायें विगत तीस वर्षो से केवल मंत्रिमंडल की बैठक तक ही सिमट कर रह गयीं । जिन्हें अब खोज खोजकर पूरा करने का एक अभिनव प्रयास किया जा रहा है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से बैचेन कांग्रेसी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार उनकी ही योजनाओं को नये तरीके से पेश कर रही है।
उधर भारत- पाक सीमा पर पाकिस्तान की ओर से की जा रही लगातार फायरिंग के बाद अब पाकिस्तान ने भारत का मुंहतोड़ जवाब पाने के बाद जब वह कश्मीर मामले को संयुक्तराष्ट्र में लेकर चला गया तो वहां भी उसे करारा झटका लग गया है। कश्मीर मामले अब ऐसा पहली बार हो रहा है कि पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता दिखलाई पड़ रहा है। ज्ञातव्य है कि विगत दिनों लगातार फायरिंग में मुंह की खाने के बाद पाक ने भारत पर संघर्ष विराम तोड़ने का आरोप लगाते हुए यूएन को एक चिटठी भेजी थी। इसमें कहा गया था कि भारत लगातार फायरिंग कर रहा है अतः यूएन इस मामले में हस्तक्षेप करे। यूएन के प्रवक्ता ने पाकिस्तान को पूरे मामले में टका सा जवाब दे दिया है। पाकिस्तान लगातार कश्मीर का राग अलाप रहा है लेकिन अब उसे इस मामले में कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। हमारे सेना के जवानों का हौसला बुलंद हो चुका है अब उन्हें किसी को करारा जवाब देने के लिए बार बार दिल्ली का मुंह देखने की कतई आवश्यकता नहीं रह गयी है। देश को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिल गया है जोकि हर समस्या पर बारीकी से नजर रख रहा है तथा समस्याओं व चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने व त्वरित निर्णय लेने में सक्षम हैं। अगर चुनाव पूर्व अनुमानों व एग्जिट पोलों के आधार पर हरियाणा व महाराष्ट्र में भाजपा अकेले दम पर बहुमत के काफी करीब पहुंच जाती है तो इससे प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा सकरार का आत्मविश्वास और बढ़ेगा तथा सरकार और उसकी योजनायें पूरी मजबूती के साथ अपने कदम आगे बढ़ेंगी।
मृत्युंजय दीक्षित
अच्छा लेख. अच्छे दिनों की शुरुआत हो चुकी है. इसकी ठोस बुनियाद मोदी जी ने रख दी है. अब आने वाले सभी दिन अच्छे ही आयेंगे. जय श्री राम ! नमो नमो !!