लघुकथा : आई एम सॉरी सर
“हैलो नव्या, एकबार फिर तुमने अच्छी कविता पेश की, वाहहह क्या बात है”
“थैंक्स अ लॉट हितेश सर, आपलोगों से ही सीख रही हूँ.”
“वैसे किस रस में लिखना पसंद करती हो?”
“श्रृंगार में वैसे तो…”
“वियोग या संयोग??”
“जी संयोग में ही ज्यादा…”
“मस्त हो एकदम, कुछ इश्क मोहब्बत का लफड़ा है कहीं??”
“सर कैसी बात कर रहे हैं आप!”
“प्यार गुनाह नहीं है, एक दिव्य भाव, आलोकित अनुभूति है। राजा, रंक सभी करते हैं.”
“बिलकुल मैं इस बात से मना नहीं कर रही, ना ही मैंने बुरा या गलत कहा, मगर आप अपने शब्दों पर ध्यान दें तो समझ जायेंगे कुछ ‘इश्क मोहब्बत का लफड़ा है कहीं!'”
“सॉरी नव्या.”
“आई एम सॉरी सर, मैंने आपको एक सीनियर समझा था लेकिन कुछ ही चैट सैशंस मे आपने…” नव्या का माउस प्वाइंटर ब्लॉक ऑप्शनपर था।
लघुकथाकार – कुमार गौरव अजीतेन्दु
शब्द सबके पास है लेकिन कब कैसे किसका प्रयोग करना है ये कोई कोई जान पाता है ….. अच्छा की ब्लाक कर
बहुत अछि लघु कथा गौरव भाई …..
अच्छी लघुकथा. जाकी रही भावना जैसी.
समझ अपनी अपनी
अछे विचार , बुरे विचार .