कविता

हाईकु

आतिशबाजी
प्रदूषित करेगा
वातावरण

स्नेह दिपक
जलाये क्यू न हम
इस दिवाली

कोई अपना
हमसे रुठा हुआ
चलो मनाये

मदद करे
जरुरतमंद की
हाथ बढाये

आशीर्वाद ले
अपने बुजुर्गो का
दीप जलाये

शुभकामना
दीवाली की सभी को
मेरा नमन

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]

2 thoughts on “हाईकु

  • विजय कुमार सिंघल

    केवल आतिशबाजी ही नहीं, हर त्यौहार पर कुछ न कुछ प्रदुषण और अपव्यय होता है. जैसे होली पर पानी, बकरीद पर पशु हत्या, क्रिसमस पर बिजली आदि. इस कारण त्यौहार मनाना बंद नहीं किया जा सकता.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    एकता जी , हाइकु बहुत अच्छा लगा . हर बात समझ में आई . धन्यावाद

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